फिरोज तुगलक के सुधारो का वर्णन करे ?
फिरोज तुगलक का जन्म 1309 ई० हुआ था | उनके पिता का नाम सिपहसलार रजब था और बीवी नैना भट्टी वंश के राजपूत रजमल की कन्या थी | मुहम्मद तुगलक के बाद फिरोज तुगलक दिल्ली के सिहासन पर बैठा था | यह बड़े आश्चर्य की बात है की राजपूतनी का पुत्र होते हुए भी फिरोज बड़ा ही कट्टर मुसलमान था और हिन्दुओं से उसे घोर घृणा थी | बरनी के तारीफ ए -फिरोजशाही से पता चलता है की सुलतान मुहम्मद तुगलक की यह इच्छा थी की उसकी मृत्यु के उपरांत फिरोज उसका उत्तराधिकारी बने | सुल्तान की मृत्यु के उपरांत कुछ अमीरों ने राजवंश के दो अन्य व्यक्तियों का नाम गद्दी के लिए प्रस्तावित किया था | परन्तु बहुमत फिरोज के पक्ष में था | इसलिए मुहम्मद तुगलक की मृत्यु के बाद अमीरो ने फिरोज को ही अपना सुलतान चुना | फिरोज धार्मिक प्रवृति का व्यक्ति था | इसलिए उसने सुल्तान बनने से इंकार कर दिया था | परन्तु अमीरो एवं उलेमाओं के आग्रह करने पर उसने बनना स्वीकार कर लिया | वह 1351 ई ० में दिल्ली का सुल्तान बना था |
पूर्व मध्यकालीन भारत वर्ष के इतिहास में फिरोज तुगलक अपने प्रशासनिक सुधारो के लिए प्रसिद्ध समझा जाता है | वह एक शांतिप्रिय सुल्तान था | अतः उसने युद्धों की अपेक्षा प्रशासनिक सुधारो और सार्वजनिक हितो के कार्यो की ओर विशेष ध्यान दिया | फिरोज तुगलक दिल्ली के सिंहासन पर बैठने वाला सबसे अधिक विनम्र ,दयालु तथा सत्यवादी सुलतान था | उसने जनता की दशा को सुधरने का विशेष प्रयत्न किया | उसने योग्य एवं विश्वासपात्र अधिकारीयों की नियुक्ति की और शासन को काम उन्हें सौपा गया | उसकी सफलता का मेहनत उसके वजीर खाँन -ए -जहाँ मलिक मकबूल को है |
राजस्व सुधार -फिरोज तुगलक ने आर्थिक विपन्नता दूर करने के लिए राजस्व व्यवस्था में क्रांतिकारी परिवर्तन किए | तकाबी कर्ज समाप्त कर दिए गए | सरकारी कर्मचारियों का वेतन ें उद्देश्य से बढ़ा दिया गया की ईमानदारी से कार्य कर सके | लगान वसूल करने वाले कर्मचारियो को करने की पार्था समाप्त कर दी गई | ख्वाजा हिसामुद्दीन के सहयोग से राजकीय संभावित आय -व्यय का ब्यौरा तैयार करवाया गया | आय के आधार पर व्यय निश्चित किया गया | सुल्तान ने जनता पर लगाए गए 24 प्रकार के करो को समाप्त कर दिया गया | अब सिर्फ चार के अतिरिक्त सिंचाई का खराज ,खम्स जजिया और जकात जनता से लिए जाने लगे ें करो के अतिरिक्त सिचाई का कर भी लगाया गया | इसकी दर उपज की १/१० थी |
उद्योग धंधे एवं व्यापार की उन्नति के कार्य - फिरोज तुगलक ने सल्तनत को समृद्ध बनाने हेतु उद्योग धंधे और व्यापार को भी काफी प्रोत्साहन दिया | उसने 36 कारखानों खुलवाये जहाँ विभिन्न प्रकार की वस्तुएं तैयार होती थी इन कारखंबों से अधिकांश वस्तुएँ महल तथा शाही उपयोग के लिए बनती थी और जो बच जाता था उसे बेच कर आय की वृद्धि की जाती थी |
फिरोज तुगलक ने लगभग 1200 बैग लगवाये जिनसे राज्यों की अच्छी आमदनी की वित्तीय स्तिथि सुधरी और जानता को राहत मिली |
सार्वजनिक निर्माण कार्य - यदि इतिहासकार के कथन पर विश्वास किया जाय तो
निर्माण कार्य फिरोज का मुख्य पेशा था | उसने फिरोजाबाद ,फतेहपुर ,हिसार,फिरोजपुर तथा जौनपुर आदि नगरों की स्थापना की | इसके अतिरिक्त फिरोज ने 40 मस्जिदे , 20 महलो ,100 सरायो ,5 जलाशयों ,5 मकबरों ,100 स्नानगारो ,10 स्तम्भों तथा 150 पुलियाँ का निर्माण करवाया | उसने अपने पूर्ववर्ती शासको द्वारा बनवाये गए स्मारकों की सुरक्षा में भी दिलचस्पी लिया | उसने अशोक के दो स्तम्भों को खिजड़ावाद और मेरठ से उठवाकर दिल्ली मंगवाया | फिरोज तुगलक ने 1200 नये उद्यान लगवाये | इन उद्यानों में विभिन्न प्रकार के फल उत्पन्न होते थे | इससे राज्य को 180000 टंका का सलाना आमदनी होती थी | आर्थिक कठिनाइयों के कारण मुसलमानों को अपनी लड़कियों की शादी करने में दिक्कत होती थी इसलिए ,सुलतान ने गरीब मुसलमान कन्याओं के विवाह में मदद के लिए दीवान ए -खैरात नामक एक विभाग की स्थापना की | विधवाओं और अनाथो को भी इस विभाग में सहायता मिलती थी |
रोजगार की व्यवस्था -फिरोज बेरोजगार लिए रोजगार दिलाने के लिए एक बेरोजगार कार्यालय की स्थापना की | उन्होंने योग्यता अनुसार इस कार्यालय द्वारा कार्य दिलाया जाता था |
फिरोज ने रोगों के उपचार तथा निदान के लिए औषधालयों की स्थापना भी की थी | सुल्तान को स्वयं औषधि का अच्छा ज्ञान था | उसने दिल्ली में एक दारुल साफा औषधालय की निर्माण कराया था उस औषधालय में गरीब तथा अनेक प्रकार के रोगियों को मुफ्त में इलाज कराया तथा निशुल्क दवा दिया जाता था | ओर रोगियों के भोजन की व्यवस्था भी राज्य की और से की जाती थी |
न्याय व्यवस्था - फिरोज एक कट्टर मुसलमान था अतः उसकी न्याय व्यवस्था इस्लामी कानूनों पर आधारित थी |
राजधानी में एक मुख्य काजी तथा राज्य के प्रांतो और महत्वपूर्ण नगरों में अनेक अधीनस्थ काजी रहते थे | न्याय शरीयत के अनुसार किया जाता था | मुफ़्ती कानून की व्याख्या करता था |
और काजी फैसला देता था इसलिए कभी -कभी अपराधियोँ को कम दंड दिया जाता था | कुछ अपराधी बिना दण्ड दिए भी छूट जाते थे |
सैनिक सुधार - फिरोज तुगलक ने सैनिक व्यवस्था को जागीरदारी प्रथा आधारित किया | उसने बोले की सैनिको के साथ दयालुता का व्यवहार किया जाय | इन सैनिको की भर्ती ,पदोन्नति आदि का सारा काम जागीदार स्वयं करते थे | सुल्तान ने बृद्ध सैनिको को सुविधा दी की यदि वे चाहे तो अपने स्थान पर अपने पुत्र ,दामाद ,आदि को नियुक्त करा सकते है |
दास प्रथा - फिरोज तुगलक को दास रखने का बड़ा शौक था | उनके पास 118000 दास थे उसने अपने जागीरदारों तथा प्रान्तीय गवर्नरों को दास भेजने के लिए कह रखा था | इनकी देख भाल के लिए उसने दीवाने बन्दगान नामक विभाग की स्थापना की | उसने अपने पास 44000 हजार दास रखकर बाकी अमीरो को बाँट दिया जिसके कारण तुगलक वंश का पतन हुआ |
फिरोज तुगलक का जन्म 1309 ई० हुआ था | उनके पिता का नाम सिपहसलार रजब था और बीवी नैना भट्टी वंश के राजपूत रजमल की कन्या थी | मुहम्मद तुगलक के बाद फिरोज तुगलक दिल्ली के सिहासन पर बैठा था | यह बड़े आश्चर्य की बात है की राजपूतनी का पुत्र होते हुए भी फिरोज बड़ा ही कट्टर मुसलमान था और हिन्दुओं से उसे घोर घृणा थी | बरनी के तारीफ ए -फिरोजशाही से पता चलता है की सुलतान मुहम्मद तुगलक की यह इच्छा थी की उसकी मृत्यु के उपरांत फिरोज उसका उत्तराधिकारी बने | सुल्तान की मृत्यु के उपरांत कुछ अमीरों ने राजवंश के दो अन्य व्यक्तियों का नाम गद्दी के लिए प्रस्तावित किया था | परन्तु बहुमत फिरोज के पक्ष में था | इसलिए मुहम्मद तुगलक की मृत्यु के बाद अमीरो ने फिरोज को ही अपना सुलतान चुना | फिरोज धार्मिक प्रवृति का व्यक्ति था | इसलिए उसने सुल्तान बनने से इंकार कर दिया था | परन्तु अमीरो एवं उलेमाओं के आग्रह करने पर उसने बनना स्वीकार कर लिया | वह 1351 ई ० में दिल्ली का सुल्तान बना था |
पूर्व मध्यकालीन भारत वर्ष के इतिहास में फिरोज तुगलक अपने प्रशासनिक सुधारो के लिए प्रसिद्ध समझा जाता है | वह एक शांतिप्रिय सुल्तान था | अतः उसने युद्धों की अपेक्षा प्रशासनिक सुधारो और सार्वजनिक हितो के कार्यो की ओर विशेष ध्यान दिया | फिरोज तुगलक दिल्ली के सिंहासन पर बैठने वाला सबसे अधिक विनम्र ,दयालु तथा सत्यवादी सुलतान था | उसने जनता की दशा को सुधरने का विशेष प्रयत्न किया | उसने योग्य एवं विश्वासपात्र अधिकारीयों की नियुक्ति की और शासन को काम उन्हें सौपा गया | उसकी सफलता का मेहनत उसके वजीर खाँन -ए -जहाँ मलिक मकबूल को है |
राजस्व सुधार -फिरोज तुगलक ने आर्थिक विपन्नता दूर करने के लिए राजस्व व्यवस्था में क्रांतिकारी परिवर्तन किए | तकाबी कर्ज समाप्त कर दिए गए | सरकारी कर्मचारियों का वेतन ें उद्देश्य से बढ़ा दिया गया की ईमानदारी से कार्य कर सके | लगान वसूल करने वाले कर्मचारियो को करने की पार्था समाप्त कर दी गई | ख्वाजा हिसामुद्दीन के सहयोग से राजकीय संभावित आय -व्यय का ब्यौरा तैयार करवाया गया | आय के आधार पर व्यय निश्चित किया गया | सुल्तान ने जनता पर लगाए गए 24 प्रकार के करो को समाप्त कर दिया गया | अब सिर्फ चार के अतिरिक्त सिंचाई का खराज ,खम्स जजिया और जकात जनता से लिए जाने लगे ें करो के अतिरिक्त सिचाई का कर भी लगाया गया | इसकी दर उपज की १/१० थी |
सिचाई व्यवस्था - कृषि के लिए अनेक कदम उठाये गए | किसानो के उपज को बढ़ाने के किये प्रेरित किया गया | उन्हें आर्थिक सहायता भी दी गई | सिंचाई की सुविधा के लिए अनेक नहरों का निर्माण किया गया | उनमे पांच नहरे प्रमुख थे :-
- 150 मील लम्बी यमुना नदी से हिसार तक |
- सतलज के घग्घर तक |
- मांडवी तथा सिरमौर हाँसी तक
- घग्घर से फिरोजाबाद तक |
- यमुना से फिरोजाबाद तक | नहरों के अतिरिक्त फिरोज तुगलक ने अनेक,कुएँ,झील,और तालाब भी खुदवाए |
उद्योग धंधे एवं व्यापार की उन्नति के कार्य - फिरोज तुगलक ने सल्तनत को समृद्ध बनाने हेतु उद्योग धंधे और व्यापार को भी काफी प्रोत्साहन दिया | उसने 36 कारखानों खुलवाये जहाँ विभिन्न प्रकार की वस्तुएं तैयार होती थी इन कारखंबों से अधिकांश वस्तुएँ महल तथा शाही उपयोग के लिए बनती थी और जो बच जाता था उसे बेच कर आय की वृद्धि की जाती थी |
फिरोज तुगलक ने लगभग 1200 बैग लगवाये जिनसे राज्यों की अच्छी आमदनी की वित्तीय स्तिथि सुधरी और जानता को राहत मिली |
सार्वजनिक निर्माण कार्य - यदि इतिहासकार के कथन पर विश्वास किया जाय तो
निर्माण कार्य फिरोज का मुख्य पेशा था | उसने फिरोजाबाद ,फतेहपुर ,हिसार,फिरोजपुर तथा जौनपुर आदि नगरों की स्थापना की | इसके अतिरिक्त फिरोज ने 40 मस्जिदे , 20 महलो ,100 सरायो ,5 जलाशयों ,5 मकबरों ,100 स्नानगारो ,10 स्तम्भों तथा 150 पुलियाँ का निर्माण करवाया | उसने अपने पूर्ववर्ती शासको द्वारा बनवाये गए स्मारकों की सुरक्षा में भी दिलचस्पी लिया | उसने अशोक के दो स्तम्भों को खिजड़ावाद और मेरठ से उठवाकर दिल्ली मंगवाया | फिरोज तुगलक ने 1200 नये उद्यान लगवाये | इन उद्यानों में विभिन्न प्रकार के फल उत्पन्न होते थे | इससे राज्य को 180000 टंका का सलाना आमदनी होती थी | आर्थिक कठिनाइयों के कारण मुसलमानों को अपनी लड़कियों की शादी करने में दिक्कत होती थी इसलिए ,सुलतान ने गरीब मुसलमान कन्याओं के विवाह में मदद के लिए दीवान ए -खैरात नामक एक विभाग की स्थापना की | विधवाओं और अनाथो को भी इस विभाग में सहायता मिलती थी |
रोजगार की व्यवस्था -फिरोज बेरोजगार लिए रोजगार दिलाने के लिए एक बेरोजगार कार्यालय की स्थापना की | उन्होंने योग्यता अनुसार इस कार्यालय द्वारा कार्य दिलाया जाता था |
फिरोज ने रोगों के उपचार तथा निदान के लिए औषधालयों की स्थापना भी की थी | सुल्तान को स्वयं औषधि का अच्छा ज्ञान था | उसने दिल्ली में एक दारुल साफा औषधालय की निर्माण कराया था उस औषधालय में गरीब तथा अनेक प्रकार के रोगियों को मुफ्त में इलाज कराया तथा निशुल्क दवा दिया जाता था | ओर रोगियों के भोजन की व्यवस्था भी राज्य की और से की जाती थी |
न्याय व्यवस्था - फिरोज एक कट्टर मुसलमान था अतः उसकी न्याय व्यवस्था इस्लामी कानूनों पर आधारित थी |
राजधानी में एक मुख्य काजी तथा राज्य के प्रांतो और महत्वपूर्ण नगरों में अनेक अधीनस्थ काजी रहते थे | न्याय शरीयत के अनुसार किया जाता था | मुफ़्ती कानून की व्याख्या करता था |
और काजी फैसला देता था इसलिए कभी -कभी अपराधियोँ को कम दंड दिया जाता था | कुछ अपराधी बिना दण्ड दिए भी छूट जाते थे |
सैनिक सुधार - फिरोज तुगलक ने सैनिक व्यवस्था को जागीरदारी प्रथा आधारित किया | उसने बोले की सैनिको के साथ दयालुता का व्यवहार किया जाय | इन सैनिको की भर्ती ,पदोन्नति आदि का सारा काम जागीदार स्वयं करते थे | सुल्तान ने बृद्ध सैनिको को सुविधा दी की यदि वे चाहे तो अपने स्थान पर अपने पुत्र ,दामाद ,आदि को नियुक्त करा सकते है |
दास प्रथा - फिरोज तुगलक को दास रखने का बड़ा शौक था | उनके पास 118000 दास थे उसने अपने जागीरदारों तथा प्रान्तीय गवर्नरों को दास भेजने के लिए कह रखा था | इनकी देख भाल के लिए उसने दीवाने बन्दगान नामक विभाग की स्थापना की | उसने अपने पास 44000 हजार दास रखकर बाकी अमीरो को बाँट दिया जिसके कारण तुगलक वंश का पतन हुआ |
thank you so much
ReplyDeleteThank u so much sir itna acccha knowledge dene ke liye
ReplyDeleteWc
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