उग्रवादी आंदोलन के उदय कारण
उग्रवाद के उदय प्रमुख कारन इस प्रकार हैं -
- भारत परिषद अधिनियम,1882 ई० के पार्टी असंतोष :- कांग्रेस अधिनियम द्वारा प्रस्तावित सुधारो के प्रति असंतोष व्यक्त किया था | निरंतर नवीन सुधारो मांग उठने लगी थी | कांग्रेस दल भी अपने अधिवेशनो में निरंतर नवीन सुधारो की मांग करता रहा | 1899 कांग्रेस के अध्यक्ष आर० सी० दत्त ने कहा था | समय आ गया है की हमारे विचारो को पूर्ण अभिव्यक्ति एवं प्रतिनिधित्व प्राप्त होना चाहिए |
- असामान्य जान-कष्ट एवं देवीं आपत्तियां :- भारतियों में तीव्र असंतोष तो पहले से व्याप्त था | 1895 से 1900 वी० ई० तक के पांच वर्षो में अपने देवी कष्टों एवं आपत्तियों का भारतीय जनता को सामना करना पड़ा | -1896 -97 में भयंकर दुभिर्क्ष पड़ा | इससे हजारों की संख्या में व्यक्ति मृत्यु के ग्रास बन गए |
- हिंदुयों में धार्मिक जागृति :- 19वी शताब्दी के सामजिक संस्कृति को महाराष्ट्र तिलक ने,पंजाब में लाला लाजपतराय ने और बंगाल में विपिनचंद पाल एवं अरविंद घोष ने अग्रसर किया था | ें विद्वानो की वेदो में पूर्ण आस्था थी | वे अत्यधिक धार्मिक एवं प्राचीन भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति में पूरा विश्वास रखते थे | वे पाश्चात्य सभ्यता के विरोधी थे | पाश्चत्य शिक्षा को वे भारतियों को मानसिक गुलाम बनाने का साधन मानते थे | अरविंद राष्ट्रवाद को धर्म मानते थे | राष्ट्रवाद अर्थात देशभक्त को धर्म के रूप में स्वीकारते थे |
- विदेश निति :- लॉर्ड कर्जन की विदेश नीति ने भी भारतियों में असंतोष फ़ैलाने में सहायता दी | अफगानिस्तान ,तिब्बत,चीन एवं फारस ,ईरान सम्बन्धी उसकी नीति की आलोचना की गयी | कर्जन द्वारा भारतीय सेना को ें क्षेत्रो तथा दक्षिणी अफ्रीका में साम्राज्य की एवं ब्रिटिश हितो की रक्षा के लिए भेजने की निंदा की गयी क्योकि सेना सम्बंधित सारा व्यय भारत को वहां करना पड़ता था | लार्ड कर्जन ने सीमा समस्या के कारण उत्तरी भारत को सीमा प्रान्त का निर्माण किया | इसमें पेशेवर कोहन बन्नू एवं डेरा इस्माइल खां के जिले सम्मिलित थे | ें क्षेत्रो पर पंजाब के गवर्नर का कोई अधिकार नहीं था | इसका पंजाब के पुराने लोक सेवकों द्वारा विरोध किया गया |
- विदेशों में भारतियों का अपमान :- प्रवासी भारतियों के साथ घटित अपमानजनक एवं भेदभाव पूर्ण व्यवहार से भी भारत का राष्ट्रीय मानस क्षुब्ध एवं क्रोधित हो उठा था | दक्षिण अफ्रीका मलया फिजी ब्रिटिश गिनी में भारतियों के साथ भेदभाव व्यवहार किया जाता था दक्षिण अफ्रीका में भारतियों की स्थिति दयनीय थी वे समाज में बहिष्कृत थे | उनपर अनेकानेक प्रतिबंध थे यथा -शहर के बाहर निश्चत स्थानों में उन्हें रहना पड़ता था,प्रथम व द्वितीय श्रेणी के डिब्बों में रेल यात्रा करना पड़ता था | फलस्वरूप ब्रिटिश शासन विरोधी भावनाओं में वृद्धि हुई |
- आतंरिक घटनाएं एवं परिस्थितियां :- देश की निम्नलिखित घटनाएं एवं परिस्थितियों ने राष्ट्रीय चेतना के विकास में योग दिया और उग्र -राष्ट्रवाद के लिए मार्ग प्रशस्त किया था |