बक्सर का युद्ध :-
बक्सर के युद्ध के कई कारण थे | प्लासी का युद्ध बंगाल में कंपनी -शासन का पहला चरण था | इसका दूसरा चरण बक्सर की युद्ध साबित हुआ | बक्सर की युद्ध पहले की अपेक्षा ज्यादा महत्वपूर्ण थी | इस युद्ध ने बंगाल में अंग्रेजी सत्ता पूर्णरूपेण कर दी |
बक्सर युद्ध के कारन तथा महत्व -प्लासी के युद्ध के पश्चात क्लाइव ने बंगाल की गद्दी पर मीरजाफर को आसीन करवाया | वह नाम मात्र का शासक था | वास्तविक शक्ति तो क्लाइव के हाथों चली गयी थी मीरजाफर एक कमजोर तथा अयोग्य व्यक्ति था उसने कंपनी के किये गए वायदों को पूरा किया | उसने कंपनी को बहुत सारा धन दिया ,परन्तु कंपनी की तरफ से धन की मांग दिन प्रतिदिन बढ़ती चली जा रही थी | जिसे पूरा करने में मीरकासिम अपने -आप को असमर्थ पा रहा था | इसके साथ ही प्रशासनिक शक्ति नष्ट होते जा र रही थी | पटना ,पूर्णिया ,मिदनापुर ,ढाका आदि जगहों पर विद्रोह शुरू होने लगा | इस विद्रोह पर अंग्रेजो की सहायता से उसने नियंत्रण किया ,परन्तु कंपनी की बढ़ती मांग को पूरी करने में वह समर्थ नहीं हो सका | मीरजाफर पर 1760 ई० तक कंपनी की करीब 25 लाख रुपया बकाया हो गया | इसके साथ -साथ बंगाल में डचों का भी आक्रमण तथा उपद्रव बढ़ गया था | शाहजादा आलीगौहर ने भी 1759 ई ० को बंगाल पर आक्रमण कर दिया था परिस्थिति अब नियंत्रण से बहार होती चली जा रही थी | जब तक क्लाइव भारत में रहा मीरजाफर को सहायता
एवं संरक्षण प्रदान किया ,परन्तु 1760 ई ० के प्रारम्भ में क्लाइव के वापस अपने देश लौट जाने से मीरजाफर बिलकुल असहाय हो गया |
क्लाइव की जगह पर हॉलवेल और वेनिस्टार्ट गवर्नर होकर बंगाल पहुंचे इनलोगो ने भी नवाब पर बहुत पैसो की मांग तथा दबाव डाला जाने लगा | मीरजाफर असहाय शासक था | अंग्रेजो ने मीरजाफर को बंगाल की गद्दी से हटाने के लिए षड़यंत्र रचा गया | अंग्रेजो ने डचो के साथ मिल कर गद्दी से हटा दिया गया | अंग्रेजो ने मीरजाफर के दामाद मीरकासिम से एक गुप्त समझौता क्र लिया | उसने कंपनी की नई सुविधाएं देने एवं उसकी धन को मांग को पूरा करने का वचन दिया | 14 अक्टूबर 1760 की रात्रि में राजधानी में मीरजाफर को घेर लिया गया और उसे बंदी बना लिया गया और मीरजाफर बंधक होकर अपनी गद्दी छोड़नी पड़ी | उसे 15000 /- रु० मासिक पेंशन दिया जाने लगा और वह मुर्शिदाबाद छोड़कर कलकत्ता चला गया | अब बंगाल का नया नवाब बना |
मीरकासिम - मीरकासिम का अंग्रेजो से सम्बन्ध मीरजाफर की तरह था | दोनों नवाद छल प्रपंच से नवाब बना था | परन्तु वह मीरजाफर से ज्यादा योग्य और कुशल था | उसके पास प्रशासनिक अनुभव था | उसने इस बात को अच्छी तरह से समझ था की बंगाल की स्थिति सुधारने के लिए उसे अंग्रेजो के चंगुल से अपने -आप को मुक्त करना होगा | इसके लिए सेना तथा धन की पूर्ण मात्रा में आवश्यकता थी | उसने विद्रोही जमींदारों को सताया ,भ्र्ष्ट कर्मचारियों से राजकीय धन वसूल किया गया | अतिरिक्त कर लगाए गए सेना को यूरोपीय ढंग से प्रक्षिशण
किया गया | एवं अंग्रेजों के हस्तक्षेप से बचने के लिए राजधानी हटाकर मुंगेर की सुरक्षा की व्यवस्था की गयी तथा वहां बन्दुक और तोप बनाने का कारखाना खोला गया | संघर्ष का प्रारंभ - मीरकासिम के इन कार्यो से कंपनी'अश्कित हो उठा | अंग्रेज बंगाल की गद्दी पर अयोग्य तथा कमजोर शासक चाहते थे जो उनके हाथो में कठपुतली बन कर रह सके , परन्तु मीरकासिम उसका उल्टा निकला | अंग्रेजों ने मीरकासिम को गद्दी से हटाने के लिए पुनः षड्यंत्र रचने लगे | मीरकासिम भी अपने अपने आर्थिक क्षति ,अपने पदाधिकारियों की अपेक्षा तथा अंग्रेजो द्वारा बंगाल की प्रजा के लूट -खसोट से ऊब चूका था | उसने अंग्रेजो का ध्यान इस तरह से खींचने का असफल प्रयास किया | अतः में ,तंग आकर उसने देशी व्यापारियों को भी निः शुल्क व्यापार करने का अधिकार प्रदान कर दिया | अंग्रेज और भारतीय व्यापारी एक ही पलड़े पर आ गए | मीरकासिम का यह कदम पूर्णतया न्यायोचित था ,परन्तु इससे अंग्रेजो की धन कमाने का मौका हाथ से जाता रहा | क्रोधित होकर अंग्रेजो ने सैनिक कार्यवाही सुरु करने की योजना बनाई | 25 मई ,1763 ई० को कंपनी की तरफ से ऐमायट मुंगेर पंहुचा | और नवाब के सामने ग्यारह सूत्री मांगे प्रस्तुत की जिन्हे नवाब ने ठुकरा दिया | ऐसी बिच पटना ,ऐसी बिच पटना के अंग्रेज एजेंट एलिस को कोलकाता कौंसिल ने नगर पर आक्रमण करने का आदेश दिया | एलिस ने आसानी से पटना पर अपना अधिकार कर लिया |
24 जून 1763 ई० -जब ऐलिस ने पटना पर अपना अधिकार कर लिया ,जब इस घटना को मीरकासिम को जब पता चला तो वे तुरंत पटना पर आक्रमण क्र उसपर अपना अधिकार कर लिया | अनेक अंग्रेज इस युद्ध में मारे गए |
पटना हत्या कांड - दूसरी तरफ मेजर एडम्स के नेतृत्व में एक सेना मुर्शिदाबाद की तरफ बढ़ी | मीरकासिम भी मुंगेर से चला | उनके रास्ते में अंग्रेजो ने -जैसे कटवा ,गिरया तथा सूती में नवाब की सेना को पराजित क्र दिया | महत्वपूर्ण युद्ध उदयनला के पास हुआ जिससे मीरकासिम बहुत बुरी तरह से हरा गया | वहां से होते हुए मीरकासिम मुंगेर से पटना पंहुचा | हार की क्रोध में उसने पटना में गिरफ्तार करीब 148 कैदियों जिसमे ऐलिस भी तथा ,की हत्या करवा दी | यह घटना पटना के हत्याकांड के नाम से जाना जाता है |
जुलाई 1763 -अंग्रेजो ने 1763 ई ० को मीरकासिम को हरा क्र फिर मीरजाफर को शासक बना दिया गया |
अंग्रेजो ने मैक्सिम का पीछा करना जारी रखा |
मीरकासिम के अधिकारियो की गद्दारी से मुंगेर तथा पटना की सत्ता हाथ से निकल गया उसे अपना राज्य छोड़कर अवध में शरण लेनी पड़ी |
बक्सर के युद्ध - 22 अक्टूबर 1764 को बक्सर नगर के पास ईस्ट इंडिया कंपनी के हैक्टर मुनरो और मुग़ल तथा नवाबो की सेना के बिच लड़ा गया था |
बंगाल के नवाब मीरकासिम ,अवध के नवाब शुजाउद्दौला ,तथा मुग़ल बादशाह शाह आलम द्वितीय की संयुक्त सेना अंग्रेज से लड़ा गया था | लड़ाई में अंग्रेजो की सेना की जीत हुई | अंग्रेजो ने 10000 सैनिको को मारे गए एवं 6000 से भी ज्यादा सैनिको को बंदी बनाया गया था | उसके परिणाम स्वरुप पश्चिम बंगाल ,बिहार,
झारखण्ड ,उड़ीसा और बंगलादेश का दीवानी और राजस्व अधिकार अंग्रेज कंपनी के हाथ चला गया |
मीरकासिम युद्धक्षेत्र से भाग खड़ा हुआ | उसकी स्तिथि बहुत ही ख़राब हो चूका था घुमक्कड़ जीवन व्यतीत करते हुए ,दिल्ली के निकट 1777 ई ० में मीरकासिम की मृत्यु हुई थी मुग़ल सम्राट ने अंग्रेजो समझौता कर लिया | नवाब शुजाउद्दौला कुछ दिनों तक अंग्रेजो का विरोध करता रहा परन्तु कारा युद्ध ने हार जाने के पश्चात मई 1765 ई ० को उसने अंग्रेजो के समक्ष अपने घुटने तक दिए |
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