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सिंध पर अरबो का का आक्रमण |
अरबों ने आंठवी शदाब्दी के प्रारम्भ में मकरान या बलूचिस्तान को जीत लिया जिससे सिंध पर आक्रमण के लिए उनका मार्ग प्रशस्त हो गया | ७११ ई० में मुहम्मद बिन कासिम का प्रसिद्ध आक्रमण सिंध पर हुआ |
सिंध पर अरबो का अाक्रमन का मुख्य कारण :इस्लाम का प्रचार करना था ,इस्लाम धर्म की के पैगम्बर मुहम्मद साहब ने अपने अनुयायियों को इस्लाम धर्म के प्रचार के लिए प्रेरित किया था | मुहम्मद साहब के जीवन काल में ही इस्लाम दूर -दूर देशों में फ़ैल चुका था ,उनके निधन के पश्चात इस्लाम धर्म जंगली आग की तरह फैलने लगा |
यह देखते देखते सीरिया ,मेसोपोटामिया ,ईरान अफगानिस्तान ,बलुचिस्तान ,अफ्रीका के उत्तरी तट ,इतर तथा दक्षिण ,मिश्र ,स्पेन पुर्तगाल एवं दक्षिण फ्रांस में फ़ैल गया | इस प्रकार पश्चिम में दूर -दूर तक फ़ैल गया |
इस्लाम धर्म के के नेताओ ने पूर्व की और ध्यान दिया | अतः यह कहना ठीक है की अरबो के सिंध आक्रमण की पृष्ठभूमि में उनका धार्मिक उत्साह था |
धन का प्रलोभ -अरबो की आर्थिक स्थिति बहुत ही शोचनीय थी जीविकोपार्जन के साधन सिमित थे | इस्लाम के उदय के पूर्व अरबों का भारत के साथ व्यापारिक सम्बन्ध था ,वे समुद्री मार्ग से भारत के पश्चिमी तटों पर आते थे |
और भारत से प्रभुत धन कमा कर ले जाते थे | उन्होंने अपनी आंखों से भारत की विलुप धनराशि देखी थी | अरबो की भारत पर आक्रमण करना चाहते थे इसके लिए उन्होंने कई बार प्रयास भी किया | अंत में ७११ ई ० में सिंध पर उनका आक्रमण सफल रहा |
समुंद्री डाकुओं द्वारा जहाजों पर डाका - अरब -सिंध आक्रमण का तात्कालिक कारन इतिहासकार -समुंदरी डाकुओ द्वारा जहाजों पर डाका डाला | बात यह थी की कुछ अररब व्यापारी श्रीलंका में अपने जहाजों पर सामान लाद कर अरब सागर होते हुए अपने देश लौट रहे थे जब वे सिंध के तट के समीप रहे थे ,थट्टा नमक एक स्थान पर समुंदरी डाकुओ ने उन्हें लूट लिया | व्यापारियों ने अपनी लूट की कहानी बसरा के राजा हज्जाज को कह सुनाई | इस पर हज्जाज ने सिंध शासक दाहिर से लूट का धन लौटाने ,अपराधियों को सजा देने एवं क्षति की मांग की |इस पार दाहिर ने स्पष्ट उत्तर दिया की समुंदरी डाकुओ उसकी प्रजा नहीं है ,तथा किसी भी तरह की क्षति पूर्ति देने से असमर्थ है | दाहिर के इस जवाब से हज्जाज बहुत ही क्रोधित हुआ | उसने खलीफा वाहिद की अनुमति प्राप्त कर उबेदुल्लाह के नेतृत्व में एक बड़ी सेना सिंध पर भेज दिया किन्तु यह सेना बुरी तरह से पराजित होकर अपने राज्य वापस लौट आई ,सिंधियों ने उनके नेता उबेदुल्लाह को पकड़ लाया और उसको मार दिया गया इससे हज्जाज आग बबूला हो उठा | उसने पुनः पहले से अधिक सुसज्जित और अधिक संख्या में एक विशाल सेना बूठैल के सेना पति ने सिंध पर आक्रमण किया ,परन्तु बूठैल को भी पराजित होना पड़ा |
हज्जाज ने इस बार सोच समझ कर कदम उठाया,और अपने सत्रह वर्षीय चचेरे भाई तथा दामाद मुहम्मद बिन कासिम के सेना पतिकर एक विशाल कुशल सेना बना कर सिंध आक्रमण के लिए भेज दी ,कासिम ने सिंध के शासक दाहिर को हरा कर सिंध पर विजय प्राप्त की |
कासिम की सिंध पर विजय प्राप्त की एक ऐतिहासिक पहेली है ,अरब -सिंध की आक्रमण के तीन मुख्य कारण है |
(१)लंका के राजा ने इस्लाम -धर्म को स्वीकार कर लिया था | इस उपलक्ष्य में उसने खलीफा को बहुत सी वस्तुएं उपहार में भेजी ,जिन्हे समुंदरी डाकुओं ने सिंध के बंदरगाह देवल के समीप लुट लिया |
(२)श्रीलंका के राजा ने अरब व्यापारियों की अनाथ बालिकाएं को उनके संरक्षकों की मृत्यु हो जाने पर ईरान के गवर्नर हज्जाज के पास भेजा था जिन्हे सिंध के निकट समुद्री डाकुओं ने लूट लिया था |
(३) खलीफा ने अपने एजेंटो को भारत से कुछ दासियाँ तथा आवश्यक वस्तुए खरीदने के लिए भेजा था | उनका जहाज जब लौट रहा था तो उस जहाज को सिंध में ही लूट लिया गया था |
इस्लाम का प्रचार -प्रसार - अरबों की सिंध -विजय महत्वपूर्ण परिणाम भारत में पहले -पहल इस्लाम धर्म की प्रचार प्रसार है | कासिम ने विजितों को इस्लाम धर्म अंगीकार करने के लिए बाध्य किया | जो ऐसा नहीं करते ,उन्हें या तो प्राण गँवाने पड़े या जजिया देना पड़ा | कुछ हिंदुयों ने प्रलोभन वश या भय वश इस्लाम धर्म को ग्रहण कर लिया | वे भारत में इस्लाम सभ्यता -संस्कृति के जनक बन गए | देश में धीरे -धीरे मुसलमानों की जनसंख्न्या बढ़ती गयी | इसका अंतिम परिणाम भारत का १९४७ ई ० में दो भागो में भारत-पाकिस्तान हो गया |
अरबो की प्रशासनिक परिणाम - कासिम ने अपने विजिट सिंध प्रदेश पर अपनी शासन व्यवस्था स्थापित करने का प्रयास किया था | यह सत्य है की वह दीर्घकाल तक सिंध में नहीं रह सका ;फिर भी उसने सिंध में अरबी शासन व्यवस्था की नींव अवश्य डाली | यह लगभग डेढ़ सौ वर्षो तक कायम रही | अरबो के साथ -साथ स्थानीय हिन्दू भी सेना और शासक के पदों पर बहाल किये गए | अधिकांश काम हिन्दू ही करते थे |
प्रांतो को जिलों या अक्तो में बाँट दिया गया था ,अक्तो की मुख्य अधिकारी अरबी अफसर ही होता था |
न्याय कार्य इस्लामी कानून के अनुसार होता था |
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